Gram Panchayat Haminpur Pilani Jhunjhunu

Haminpur

Gram Panchayat

Shree Gopinath Gosala Gudhagorji Jhunjhunu

Shree Gopinath Gosala Gudhagorji Jhunjhunu

 

गुढ़ागौड़जी (झुंझुनूं) कस्बे की श्री गोपीनाथ गोशाला अपने आप में अनूठी है। इसमें 250 से ज्यादा गायों का दूध उनके बछड़े-बछड़ी ही पीते हैं। गाय काे दूध बेचा नहीं जाता है। गो नस्ल सुधारने के लिए सांडों को सर्दियों में घी खिलाया जाता है। गोशाला से जुड़े विजेन्द्र सिंह गुढ़ा बताते हैं कि गोशाला में 186 गायें करीब 42 बछड़े बछड़ी हैं। वहीं 55 से ज्यादा सांड हैं। इनमें से 5 उन्नत नस्ल के हैं। उन्होंने बताया कि आठ साल पहले तक गोशाला में दूध बेचा जाता था, लेकिन नई कार्यकारिणी बनने के बाद गोशाला में दूध बेचने पर रोक लगा दी गई। इसके बाद आज तक दूध नहीं बेचा गया। गायों का सारा दूध बछड़ा बछड़ी ही पीते हैं। गायों की देखरेख के लिए 14 लोगों की टीम काम करती है। रोज सुबह-शाम सफाई की जाती है। गायों को चारा और पशु आहार खिलाया जाता है ताकि उनकी सेहत बरकरार रहे। उन्नत नस्ल के पांच सांडों को ताकत के लिए विशेष खाद्यान्न भी खिलाए जा रहे हैं जिससे गो नस्ल में सुधार हो सके। इन पांच सांडों के अलावा एक दर्जन से ज्यादा छोटे सांडों को भी गो नस्ल में सुधार के लिए तैयार किया जा रहा है। 


वर्ष 1966 में शुरू हुई इस गोशाला में गर्भवती प्रसूता गायों की विशेष देखरेख के लिए जनाना बाड़ा है। गुढ़ा ने बताया कि गर्भवती प्रसूता गायों के खानपान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। उनको पौष्टिक भोजन के साथ दलिया दिया जाता है। दिव्यांग गायों के लिए अलग से काॅटेज बनाया गया है। जनाना बाड़े की गायाें की देखरेख के लिए डॉक्टर की व्यवस्था भी की गई है। गोशाला की खेती की जमीन में गायाें के लिए फसल तैयार कर की जा रही है। 

इस गोशाला की खासियत है कि इसमें रहने वाली गायों को कोई घर ले जाना चाहे तो गोशाला कमेटी उनकी पड़ताल कर उनको गाय पालने को देती है। गो सेवा करने के इच्छुक लोगों को गोशाला 2100 रुपए की रसीद काटकर गाय पालन करने को देती है। गोपालन करने वाले की पूरी तहकीकात करके ही गाय दी जाती है। इस गोशाला को सही तरीके से चलाने के लिए हर साल 18 से 20 लाख रुपए खर्च होते हैं। यह सारी राशि भामाशाहों की मदद से प्राप्त होती है। पांच लाख रुपए सरकारी अनुदान भी मिल रहा है। 

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