Gram Panchayat Haminpur Pilani Jhunjhunu

Haminpur

Gram Panchayat

Martyr Piru Singh

शहीद कंपनी हवलदार मेजर (CHM) पीरू सिंह शेखावत
परमवीर चक्र (मरणोपरांत)
20 मई 1918 - 18 जुलाई 1948
यूनिट - 6 राजपूताना रायफल्स
लड़ाई - टीथवाल की लड़ाई
युद्ध - भारत - पाक कश्मीर युद्ध 1947-48

CHM पीरू सिंह का जन्म 20 मई 1918 को गाँव रामपुरा बेरी, (झुँझुनू) राजस्थान में हुआ | वह 20 मई 1936 को 6 राजपुताना रायफल्स में भर्ती हुए |

1948 की गर्मियों में जम्मू & कश्मीर ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी सेना व कबाईलियों ने संयुक्त रूप से टीथवाल सेक्टर में भीषण आक्रमण किया | इस हमले में दुशमन ने भारतीय सेना को किशनगंगा नदी पर बने अग्रिम मोर्चे छोड़ने पर मजबूर कर दिया | इस झटके के बाद भारतीय सेना ने टीथवाल पहाड़ी पर मोर्चा संभाल लिया |

इस परिस्थिति में इस सेक्टर में आसन्न हमलों को देखते हुए 163 ब्रिगेड को मजबूती देने के लिए 6 राजपुताना रायफल्स ने उरी से टीथवाल की तरफ कूच किया | भारतीय हमले 11 जुलाई 1948 को शुरू हुए | यह ऑपरेशन 15 जुलाई तक अच्छी तरह जारी रहे | इस इलाके में दुश्मन एक ऊँची पहड़ी पर काबिज था, अत: आगे बढ़ने के लिए उस जगह पर कब्जा करना बहुत ही आवश्यक था | उस के नजदीक ही दुश्मन ने एक और पहाड़ी पर बहुत ही मजबूत मोर्चाबंदी कर रखी थी | 6 राजपुताना रायफल्स को इन दोनों पहाड़ी मोर्चों पर फिर से काबिज होने का विशेष काम दिया गया |

6 राजपुताना रायफल्स की "D" कंपनी को पहले अपने लक्ष्य पर हमला कर वहां ये दुश्मन को खदेड़ना था | जबकि "C" कंपनी को अपने लक्ष्य पर तब हमला करना था, जब "D" कंपनी अपने लक्ष्य पर अच्छी तरह काबिज हो जाए | "D" कंपनी ने 18 जुलाई 1948 को दोपहर 1:30 बजे अपने लक्ष्य पर हमला किया | उस पोस्ट की तरफ जाने वाला रास्ता लगभग मात्र एक मीटर ही चौड़ा था, व इस के दूसरी तरफ गहरे खतरनाक दर्रे थे | यह संकरा रास्ता दुश्मन के गुप्त बंकरों की जद में भी था | इस रास्ते में आगे बढ़ने पर "D" कंपनी दुश्मन की भीषण गोलाबारी की चपेट में आ गई, व आधे घंटे में ही कंपनी के 51 सैनिक शहीद हो गए |

 इस हमले के दौरान CHM पीरू सिंह इस कंपनी के अगुवाई करने वालों में से थे, जिस के आधे से ज्यादा सैनिक दुश्मन की भीषण गोलाबारी में मारे जा चुके थे | पीरू सिंह दुश्मन की उस मीडियम मशीन गन पोस्ट की तरफ दौड़ पड़े जो उन के साथियों पर मौत बरसा रही थी | दुश्मन के बमों के छर्रों से पीरू सिंह के कपड़े तार - तार हो गए व शरीर बहुत सी जगह से बुरी तरह घायल हो गया, पर यह घाव वीर पीरू सिंह को आगे बढ़ने से रोक नहीं सके | वह राजपुताना रायफल्स का जोशीला युद्धघोष " राजा रामचंद्र की जय" करते लगातार आगे ही बढ़ते रहे | आगे बढ़ते हुए उन्होनें मीडियम मशीन गन से फायर कर रहे दुश्मन सैनिक को अपनी स्टेन गन से मार डाला व कहर बरपा रही मशीन गन बंकर के पूरे crew को मार कर उस पोस्ट पर कब्जा कर लिया | तब तक उन के सारे साथी सैनिक या तो घायल होकर या प्राणों का बलिदान कर रास्ते में पीछे ही पड़े रह गए | पहाड़ी से दुश्मन को हटाने की जिम्मेदारी मात्र अकेले पीरू सिंह पर ही रह गई | शरीर से बहुत अधिक खून बहते हुए भी वह दुश्मन की दूसरी मीडियम मशीन गन पोस्ट पर हमला करने को आगे बढ़ते, तभी एक बम ने उन के चेहरे को घायल कर दिया | उन के चेहरे व आँखो से खून टपकने लगा तथा वह लगभग अँधे हो गए | तब तक उन की स्टेन गन की सारी गोलियां भी खत्म हो चुकी थी | फिर भी दुश्मन के जिस बँकर पर उन्होने कब्जा किया था, उस बँकर से वह बहादुरी से रेंगते हुए बाहर निकले, व दूसरे बँकर पर बम फेंके |

 
बम फेंकने के बाद पीरू सिंह दुश्मन केे उस बँकर में कूद गए व दो दुश्मन सैनिकों को मात्र स्टेन गन के आगे लगे चाकू से मार गिराया | जैसे ही पीरू सिंह तीसरे बँकर पर हमला करने के लिए बाहर निकले उन के सिर में एक गोली आकर लगी फिर भी वो तीसरे बँकर की तरफ बढ़े व उस के मुहाने पर गिरते देखे गए |
तभी उस बँकर में एक भयंकर धमाका हुआ, जिस से साबित हो गया की पीरू सिंह के फेंके बम ने अपना काम कर दिया है | परतुं तब तक पीरू सिंह के घावों से बहुत सा खून बह जाने के कारण वो शहीद हो गए | उन्हे कवर फायर दे रही "C" कंपनी के कंपनी कमांडर ने यह सारा दृश्य अपनी आँखों से देखा | अपनी विलक्षण वीरता के बदले उन्होने अपने जीवन का मोल चुकाया, पर अपने अन्य साथियों के समक्ष अपनी एकाकी वीरता, दृढ़ता व मजबूती का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया | इस कारनामे को विश्व के अब तक के सबसे साहसिक कारनामो में एक माना जाता है।

 

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन की 75 वर्षीय माता श्रीमती तारावती को लिखे पत्र में लिखा कि "देश कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह का मातृभूमि की सेवा में किए गए उनके बलिदान के प्रति कृतञ है, और हमारी ये प्रार्थना है की यह आप को कुछ शांति व सांत्वना दे सके |
 
अपनी प्रचंड वीरता, कर्त्तव्य के प्रति निष्ठा और प्रेरणादायी कार्य के लिए कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह भारत के युद्धकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से मरणोपरांत सम्मानित किए गए |

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