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HTET Solved Question Paper haminpur.com


31. निर्देष: निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर दिये गये प्रष्नों के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिए: लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में षास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं ये। इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। त्योहारों और विषेष अवसरों पर ये गाए जाते हैं। एक समय था जब षास्त्रीय संगीत के सामने इनको हेय समझा जाता था। अभी हाल तक इनको बड़ी उपेक्षा की जाती थी। पर इधर साथारण जनता की ओर जो लोगां की नजर फिरी है तो साहित्य और कला के क्षेत्र में भी परिवर्तन हुआ है । अनेक लोगों ने विविध बोलियों के लोक-साहित्य और लोकगीतों के संग्रह पर कमर बाँधी है और इस प्रकार के अनेक संग्रह अब तक प्रकाषित भी हो गए हैं। वास्तविक लोकगीत देष के गाँवों और देहातों में है। इनका संबंध देहात की जनता से है। चैता,कजरी ,बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर ,बनारस और उत्तर प्रदेष के पूरबी और बिहार के पष्चिमी जिलों में गाए जाते है। हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थानी में बड़े चाव से गाए जाते हैं। ‘देहात की जनता’ का तात्पर्य है
(A). कस्बे का जनसमुदाय
(B). ग्रामीण जनसमुदाय
(C). षहरी जनसमुदाय
(D). आदिवासी जनसमुदाय
Right Answer:

32. निर्देष: निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर दिये गये प्रष्नों के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिए: लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में षास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं ये। इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। त्योहारों और विषेष अवसरों पर ये गाए जाते हैं। एक समय था जब षास्त्रीय संगीत के सामने इनको हेय समझा जाता था। अभी हाल तक इनको बड़ी उपेक्षा की जाती थी। पर इधर साथारण जनता की ओर जो लोगां की नजर फिरी है तो साहित्य और कला के क्षेत्र में भी परिवर्तन हुआ है । अनेक लोगों ने विविध बोलियों के लोक-साहित्य और लोकगीतों के संग्रह पर कमर बाँधी है और इस प्रकार के अनेक संग्रह अब तक प्रकाषित भी हो गए हैं। वास्तविक लोकगीत देष के गाँवों और देहातों में है। इनका संबंध देहात की जनता से है। चैता,कजरी ,बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर ,बनारस और उत्तर प्रदेष के पूरबी और बिहार के पष्चिमी जिलों में गाए जाते है। हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थानी में बड़े चाव से गाए जाते हैं।

‘कजरी’ गायी जाती है
(A). उत्तर प्रदेष में
(B). आसाम में
(C). गुजरात में
(D). राजस्थान में


Right Answer:

33. निर्देष: निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर दिये गये प्रष्नों के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिए: लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में षास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं ये। इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। त्योहारों और विषेष अवसरों पर ये गाए जाते हैं। एक समय था जब षास्त्रीय संगीत के सामने इनको हेय समझा जाता था। अभी हाल तक इनको बड़ी उपेक्षा की जाती थी। पर इधर साथारण जनता की ओर जो लोगां की नजर फिरी है तो साहित्य और कला के क्षेत्र में भी परिवर्तन हुआ है । अनेक लोगों ने विविध बोलियों के लोक-साहित्य और लोकगीतों के संग्रह पर कमर बाँधी है और इस प्रकार के अनेक संग्रह अब तक प्रकाषित भी हो गए हैं।वास्तविक लोकगीत देष के गाँवों और देहातों में है। इनका संबंध देहात की जनता से है। चैता,कजरी ,बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर ,बनारस और उत्तर प्रदेष के पूरबी और बिहार के पष्चिमी जिलों में गाए जाते है। हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थानी में बड़े चाव से गाए जाते हैं।

‘नजर फिरी है’ का तात्पर्य है
(A). उपेक्षा करना
(B). दृष्टिकोण मे परिवर्तन आना
(C). अवलोकन करना
(D). कुदृष्टि डालना
Right Answer:

34. निर्देष: निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर दिये गये प्रष्नों के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिए: लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में षास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं ये। इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। त्योहारों और विषेष अवसरों पर ये गाए जाते हैं। एक समय था जब षास्त्रीय संगीत के सामने इनको हेय समझा जाता था। अभी हाल तक इनको बड़ी उपेक्षा की जाती थी। पर इधर साथारण जनता की ओर जो लोगां की नजर फिरी है तो साहित्य और कला के क्षेत्र में भी परिवर्तन हुआ है । अनेक लोगों ने विविध बोलियों के लोक-साहित्य और लोकगीतों के संग्रह पर कमर बाँधी है और इस प्रकार के अनेक संग्रह अब तक प्रकाषित भी हो गए हैं। वास्तविक लोकगीत देष के गाँवों और देहातों में है। इनका संबंध देहात की जनता से है। चैता,कजरी ,बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर ,बनारस और उत्तर प्रदेष के पूरबी और बिहार के पष्चिमी जिलों में गाए जाते है। हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थानी में बड़े चाव से गाए जाते हैं।

जनता का संगीत है
(A). लोकगीत
(B). फिल्म संगीत
(C). षास्त्रीय संगीत
(D). पाष्चात्य संगीत
Right Answer:

35. निर्देष: निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर दिये गये प्रष्नों के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिए: लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में षास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं ये। इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। त्योहारों और विषेष अवसरों पर ये गाए जाते हैं। एक समय था जब षास्त्रीय संगीत के सामने इनको हेय समझा जाता था। अभी हाल तक इनको बड़ी उपेक्षा की जाती थी। पर इधर साथारण जनता की ओर जो लोगां की नजर फिरी है तो साहित्य और कला के क्षेत्र में भी परिवर्तन हुआ है । अनेक लोगों ने विविध बोलियों के लोक-साहित्य और लोकगीतों के संग्रह पर कमर बाँधी है और इस प्रकार के अनेक संग्रह अब तक प्रकाषित भी हो गए हैं। वास्तविक लोकगीत देष के गाँवों और देहातों में है। इनका संबंध देहात की जनता से है। चैता,कजरी ,बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर ,बनारस और उत्तर प्रदेष के पूरबी और बिहार के पष्चिमी जिलों में गाए जाते है। हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थानी में बड़े चाव से गाए जाते हैं।

‘बाउल’ कहाँ का लोक संगीत है ?
(A). गुजरात
(B). उत्तर प्रदेष
(C). बिहार
(D). बंगाल


Right Answer:

36. ‘तृ’ की ध्वनियाँ हैं
(A). त् $ ऋ
(B). त $ र
(C). त् $ ऋ
(D). त्र $ अ
Right Answer:

37. निम्न में से कौन-सा समूह ‘विष्णु’ के पर्यायवाची षब्दों का है ?
(A). सुदेष, चक्रपाणि, चतुर्भुज, फणीष
(B). चक्रपाणि, चतुर्भुज, षेषषायी, गरूड़ध्वज
(C). षेखर ,षषांक, दामोदर, विठ्ठल
(D). महीधर, वैनतेय, वासव, देवराज
Right Answer:

38. निम्न में से तद्भव षब्द है
(A). कुमार
(B). कुक्कुर
(C). काजल
(D). कोण
Right Answer:

39. निम्न में से षुद्ध पहचानिए
(A). सहानुभूती
(B). अश्रू
(C). अनुपातिक
(D). ऐतिहासिक
Right Answer:

40. ‘पतझड़’ में समास है
(A). करण तत्पुरूष
(B). कर्म तत्पुरूष
(C). बहुव्रीहि
(D). द्वन्द्व
Right Answer:

41. ‘हँसना’ कैसी क्रिया है ?
(A). सकर्मक क्रिया
(B). अकर्मक क्रिया
(C). संयुक्त क्रिया
(D). प्रेरणार्थक क्रिया
Right Answer:

42. ‘‘जो पहले कभी नही हुआ हो’’ कहलाता है Ð
(A). अद्भुत
(B). अप्रत्याषित
(C). अनुपम
(D). अभूतपूर्व
Right Answer:

43. निम्न से से सधोष वर्ण है
(A). अ
(B). क
(C). ख
(D). च
Right Answer:

44. ‘हृषीकेष’ की संधि है
(A). हृषी $ केष
(B). ऋषी $केष
(C). हृषीक $ ईष
(D). ऋषी $ ईष
Right Answer:

45. टिकाऊ में प्रत्यय है
(A). ऊ
(B). आऊ
(C). वू
(D). उक
Right Answer:

46. षब्दकोष में निम्न षब्दों का सही क्रम बताइये
(A). विष्व, विष्वंभरा, विष्वस्त,विष्वास
(B). विष्वस्त, विष्व, विष्वंभरा, विष्वास
(C). विष्वंभरा, विष्वस्त, विष्व, विष्वास
(D). विष्वंभरा, विष्व, विष्वस्त, विष्वास
Right Answer:

47. निर्देष: निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर दिये गये प्रष्नों के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिये: मोर के सिर की कलगी और सधन, ऊँची तथा चमकीली हो गई। चोंच अधिक बंकिम और पैनी हो गई, गोल आँखों में इंद्रनी की नीलाभ द्युति झलकने लगी । लंबी नील-हरित ग्रीवा की हर भंगिमा में धूपछाँही तरंगें उठने-गिरने लगी । दक्षिण-वाम दोनों पंखों में सलेटी और सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगे। पूँछ लंबी हुई और उसके पंखों पर चंद्रिकाओं के इंद्रधनुषी रंग उद्दप्त हो उठे । रंग-रहित पैरों को गरवीली गति ने एक नयी गरिमा से रंजित कर दिया । उसका गरदन ऊँची कर देखना, विषेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, टेढ़ी कर षब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौंदर्य था, उसका अनुभव देखकर ही किया जा सकता है। गति चित्र नही आँका जा सकता। मोरनी का विकास मोर के समान चमत्कारिक तो नहीं हुआ- परंतु अपनी लंबी धूपछाँही गरदन , हवा में चंचल कलगी, पंखों की ष्याम-ष्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी । प्रस्तुत गद्यांष है
(A). एक षब्दचित्र
(B). एक निबंध
(C). एक रिपोर्ताज
(D). एक कहानी
Right Answer:

48. निर्देष: निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर दिये गये प्रष्नों के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिये: मोर के सिर की कलगी और सधन, ऊँची तथा चमकीली हो गई। चोंच अधिक बंकिम और पैनी हो गई, गोल आँखों में इंद्रनी की नीलाभ द्युति झलकने लगी । लंबी नील-हरित ग्रीवा की हर भंगिमा में धूपछाँही तरंगें उठने-गिरने लगी । दक्षिण-वाम दोनों पंखों में सलेटी और सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगे। पूँछ लंबी हुई और उसके पंखों पर चंद्रिकाओं के इंद्रधनुषी रंग उद्दप्त हो उठे । रंग-रहित पैरों को गरवीली गति ने एक नयी गरिमा से रंजित कर दिया । उसका गरदन ऊँची कर देखना, विषेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, टेढ़ी कर षब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौंदर्य था, उसका अनुभव देखकर ही किया जा सकता है। गति चित्र नही आँका जा सकता। मोरनी का विकास मोर के समान चमत्कारिक तो नहीं हुआ- परंतु अपनी लंबी धूपछाँही गरदन , हवा में चंचल कलगी, पंखों की ष्याम-ष्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी । ‘रंजित’ का तात्पर्य है
(A). रंगयुक्त
(B). आवेष युक्त
(C). षोभा युक्त
(D). इनमें से कोई नहीं
Right Answer:

49. निर्देष: निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर दिये गये प्रष्नों के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिये: मोर के सिर की कलगी और सधन, ऊँची तथा चमकीली हो गई। चोंच अधिक बंकिम और पैनी हो गई, गोल आँखों में इंद्रनी की नीलाभ द्युति झलकने लगी । लंबी नील-हरित ग्रीवा की हर भंगिमा में धूपछाँही तरंगें उठने-गिरने लगी । दक्षिण-वाम दोनों पंखों में सलेटी और सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगे। पूँछ लंबी हुई और उसके पंखों पर चंद्रिकाओं के इंद्रधनुषी रंग उद्दप्त हो उठे । रंग-रहित पैरों को गरवीली गति ने एक नयी गरिमा से रंजित कर दिया । उसका गरदन ऊँची कर देखना, विषेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, टेढ़ी कर षब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौंदर्य था, उसका अनुभव देखकर ही किया जा सकता है। गति चित्र नही आँका जा सकता। मोरनी का विकास मोर के समान चमत्कारिक तो नहीं हुआ- परंतु अपनी लंबी धूपछाँही गरदन , हवा में चंचल कलगी, पंखों की ष्याम-ष्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी ।

मंथर गति होती है
(A). तेज गति
(B). धीमी गति
(C). लय युक्त गति
(D). टेढ़ी गति
Right Answer:

50. निर्देष: निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर दिये गये प्रष्नों के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिये: मोर के सिर की कलगी और सधन, ऊँची तथा चमकीली हो गई। चोंच अधिक बंकिम और पैनी हो गई, गोल आँखों में इंद्रनी की नीलाभ द्युति झलकने लगी । लंबी नील-हरित ग्रीवा की हर भंगिमा में धूपछाँही तरंगें उठने-गिरने लगी । दक्षिण-वाम दोनों पंखों में सलेटी और सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगे। पूँछ लंबी हुई और उसके पंखों पर चंद्रिकाओं के इंद्रधनुषी रंग उद्दप्त हो उठे । रंग-रहित पैरों को गरवीली गति ने एक नयी गरिमा से रंजित कर दिया । उसका गरदन ऊँची कर देखना, विषेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, टेढ़ी कर षब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौंदर्य था, उसका अनुभव देखकर ही किया जा सकता है। गति चित्र नही आँका जा सकता। मोरनी का विकास मोर के समान चमत्कारिक तो नहीं हुआ- परंतु अपनी लंबी धूपछाँही गरदन , हवा में चंचल कलगी, पंखों की ष्याम-ष्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी ।

बंकिम का तात्पर्य है
(A). टेढ़ा
(B). सुंदर
(C). तीखा
(D). टेढ़ी गति
Right Answer:

51. निर्देष: निम्नलिखित गद्यांष को पढ़कर दिये गये प्रष्नों के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिये: मोर के सिर की कलगी और सधन, ऊँची तथा चमकीली हो गई। चोंच अधिक बंकिम और पैनी हो गई, गोल आँखों में इंद्रनी की नीलाभ द्युति झलकने लगी । लंबी नील-हरित ग्रीवा की हर भंगिमा में धूपछाँही तरंगें उठने-गिरने लगी । दक्षिण-वाम दोनों पंखों में सलेटी और सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगे। पूँछ लंबी हुई और उसके पंखों पर चंद्रिकाओं के इंद्रधनुषी रंग उद्दप्त हो उठे । रंग-रहित पैरों को गरवीली गति ने एक नयी गरिमा से रंजित कर दिया । उसका गरदन ऊँची कर देखना, विषेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, टेढ़ी कर षब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौंदर्य था, उसका अनुभव देखकर ही किया जा सकता है। गति चित्र नही आँका जा सकता। मोरनी का विकास मोर के समान चमत्कारिक तो नहीं हुआ- परंतु अपनी लंबी धूपछाँही गरदन , हवा में चंचल कलगी, पंखों की ष्याम-ष्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी ।

किसकी क्रियाओं में सुकुमारता व सौदर्य था ?
(A). मोर की
(B). मोरनी की
(C). तोते की
(D). लेखिका की
Right Answer:

52. षब्द युग्म अवर - अपर का सही अर्थ है
(A). अतिरिक्त - निम्न
(B). निम्न - अन्य
(C). उच्च - निम्न
(D). निम्न - उच्च
Right Answer:

53. ‘किसी वस्तु को गलत समझ लेना’ है
(A). सन्देह
(B). संषय
(C). भ्रान्ति
(D). अज्ञान
Right Answer:

54. ‘पण्डित’ से बनी भाववाचक संज्ञा है
(A). पाण्डित्य
(B). पंडिताईन
(C). पठन
(D). ये सभी
Right Answer:

55. ‘मुद्रा’ षब्द का अर्थ समूह चुनिए
(A). मोहर, छाप, सिक्का, अँगूठी
(B). चेहरे का भाव, छाप, अँगूठी, प्रति
(C). नाम, लिखना, सिक्का, छापाखाना
(D). चोट,छापा, धन, स्टाम्प
Right Answer:

56. ‘मरने की इच्छा’ के लिए एक षब्द है
(A). मृत्यकांक्षी
(B). मुमुर्षा
(C). मरणेच्छु
(D). मरणासन्न
Right Answer:

57. निम्नलिखित में से एक अनेकार्थी ष्षब्द ‘खग’ से संबंधित नहीं है, उसको चुनिए
(A). मन
(B). तीर
(C). पक्षी
(D). आकाष
Right Answer:

58. निम्न में से तत्सम षब्द है
(A). अगम
(B). अमिय
(C). आंवला
(D). आषिष
Right Answer:

59. निम्न में से कौन षब्द हमेषा बहुवचन में प्रयुक्त होता है ?
(A). हस्ताक्षर
(B). समाचारपत्र
(C). चिड़िया
(D). तिजोरी
Right Answer:

60. ‘त्यक्त’ षब्द का सही विलोम है
(A). गृहीत
(B). त्याज्य
(C). तुच्छ
(D). प्रिय
Right Answer:



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