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HTET Solved Question Paper haminpur.com


1. निम्न में से गंगा के पर्यायवाची शब्दों का समूह है



(A). मंदाकिनी, भागीरथी, त्रिपथगा



(B). कृष्णा, त्रिपथगा, अर्कजा



(C). मंदाकिनी, कालिन्दी, तरणि



(D). सरिता, शैलजा, तरंगिणी



Right Answer: A



2. निम्न शब्दयुग्म का सही अर्थ चुनिए

‘लग्न-लगन’



(A). उत्साह - मुहूर्त



(B). मुहूर्त - उत्साह



(C). एक वैवाहिक अनुष्ठान - लगाव



(D). एक तारा - निश्चित समय



Right Answer: B



3. ‘पाथेय’ का अर्थ है



(A). मार्ग का भोजन

(B). मार्ग



(C). पथ प्रदर्षक

(D). अनुचर



Right Answer: A



4. ‘न’ प्रत्यय से निर्मित शब्द चुनिए



(A). खून

(B). चलन



(C). दातुन

(D). पतलून



Right Answer: B



5. कौन-सा शब्द विशेषण नहीं है ?



(A). सजल

(B). जल



(C). जलमय

(D). जलीय



Right Answer: B



6. निर्देष: अधोलिखित गद्यांश को पढ़कर दिये गये प्रश्न के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिये:

मन फिर घूम गया कौशल्या की ओर, लाखों-करोड़ों कौशल्याओं की ओर और लाखों-करोड़ों कौशल्याओं के द्वारा मुखरित एक अनाम अरूप कौशल्या की ओर, इन सबके राम वन में निर्वासित हैं, पर क्या बात है कि मुकुट अभी उनके माथे पर बंधा है और उसी के भीगने की इतनी चिंता है ? क्या बात है कि तुलसीदास ने ष्काननष् को सत अवध समाना कहा और चित्रकूट में ही पहुंचने पर उन्हें लि की कुटिल कुचाल; दीख पड़ी ?

इस देष की ही नहीं, पूरे विष्व की एक कौसल्या है, जो हर बारिष में बिसूर रही है- ष्मोरे राम के भीजै मुकुटवाष् (मेरे राम का मुकुट भीग रहा होगा)। मेरी संतान, ऐष्वर्य की अधिकारिणी संतान वन में घूम रही है, उसका मुकुट, उसका ऐष्वर्य भीग रहा है, मेरे राम कब घर लौटेंगे ? मनुष्य की इस सनातन नियति से एक दम आतंकित हो उठता हूं, ऐष्वर्य और निर्वासन दोनों साथ-साथ चलते हैं। जिसे ऐष्वर्य सौंपा जाने को है, उसको निर्वासन पहले से बदा है। जिन लोगों के बीच रहता हूं, वे सभी मंगल नाना के नाती हैं, वे मुद मंगल में ही रहना चाहते हैं, पर मैं अषेष मंगलाकांक्षाओं के पीछे से झांकती हुई दुर्निवार शंकाकुल आंखों में झांकता हूं तो मंगल का सारा उत्साह फीका पड़ जाता है और बंदनवार न दिखर बटोरी हुई रस्सी की शक्ल में कुंडली मारे नागिन दिखती है।

‘दुर्निवार’ का विलोम है



(A). कठिन

(B). सरल



(C). आषंका युक्त

(D). पीड़ा दायक



Right Answer: B



7. निर्देष: अधोलिखित गद्यांश को पढ़कर दिये गये प्रश्न के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिये:

मन फिर घूम गया कौशल्या की ओर, लाखों-करोड़ों कौशल्याओं की ओर और लाखों-करोड़ों कौशल्याओं के द्वारा मुखरित एक अनाम अरूप कौशल्या की ओर, इन सबके राम वन में निर्वासित हैं, पर क्या बात है कि मुकुट अभी उनके माथे पर बंधा है और उसी के भीगने की इतनी चिंता है ? क्या बात है कि तुलसीदास ने ष्काननष् को सत अवध समाना कहा और चित्रकूट में ही पहुंचने पर उन्हें लि की कुटिल कुचाल; दीख पड़ी ?

इस देष की ही नहीं, पूरे विष्व की एक कौसल्या है, जो हर बारिष में बिसूर रही है- ष्मोरे राम के भीजै मुकुटवाष् (मेरे राम का मुकुट भीग रहा होगा)। मेरी संतान, ऐष्वर्य की अधिकारिणी संतान वन में घूम रही है, उसका मुकुट, उसका ऐष्वर्य भीग रहा है, मेरे राम कब घर लौटेंगे ? मनुष्य की इस सनातन नियति से एक दम आतंकित हो उठता हूं, ऐष्वर्य और निर्वासन दोनों साथ-साथ चलते हैं। जिसे ऐष्वर्य सौंपा जाने को है, उसको निर्वासन पहले से बदा है। जिन लोगों के बीच रहता हूं, वे सभी मंगल नाना के नाती हैं, वे मुद मंगल में ही रहना चाहते हैं, पर मैं अषेष मंगलाकांक्षाओं के पीछे से झांकती हुई दुर्निवार शंकाकुल आंखों में झांकता हूं तो मंगल का सारा उत्साह फीका पड़ जाता है और बंदनवार न दिखर बटोरी हुई रस्सी की शक्ल में कुंडली मारे नागिन दिखती है।

मनुष्य की नियति है



(A). दुखों में निमग्न रहना



(B). दुख व सुख दोनों की अपरिहार्यता



(C). निरंतर भीगते रहना



(D). षड्यंत्रों का षिकार होना



Right Answer: B



8. निर्देष: अधोलिखित गद्यांश को पढ़कर दिये गये प्रश्न के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिये:

मन फिर घूम गया कौशल्या की ओर, लाखों-करोड़ों कौशल्याओं की ओर और लाखों-करोड़ों कौशल्याओं के द्वारा मुखरित एक अनाम अरूप कौशल्या की ओर, इन सबके राम वन में निर्वासित हैं, पर क्या बात है कि मुकुट अभी उनके माथे पर बंधा है और उसी के भीगने की इतनी चिंता है ? क्या बात है कि तुलसीदास ने ष्काननष् को सत अवध समाना कहा और चित्रकूट में ही पहुंचने पर उन्हें लि की कुटिल कुचाल; दीख पड़ी ?

इस देष की ही नहीं, पूरे विष्व की एक कौसल्या है, जो हर बारिष में बिसूर रही है- ष्मोरे राम के भीजै मुकुटवाष् (मेरे राम का मुकुट भीग रहा होगा)। मेरी संतान, ऐष्वर्य की अधिकारिणी संतान वन में घूम रही है, उसका मुकुट, उसका ऐष्वर्य भीग रहा है, मेरे राम कब घर लौटेंगे ? मनुष्य की इस सनातन नियति से एक दम आतंकित हो उठता हूं, ऐष्वर्य और निर्वासन दोनों साथ-साथ चलते हैं। जिसे ऐष्वर्य सौंपा जाने को है, उसको निर्वासन पहले से बदा है। जिन लोगों के बीच रहता हूं, वे सभी मंगल नाना के नाती हैं, वे मुद मंगल में ही रहना चाहते हैं, पर मैं अषेष मंगलाकांक्षाओं के पीछे से झांकती हुई दुर्निवार शंकाकुल आंखों में झांकता हूं तो मंगल का सारा उत्साह फीका पड़ जाता है और बंदनवार न दिखर बटोरी हुई रस्सी की शक्ल में कुंडली मारे नागिन दिखती है।

‘मंगल नाना के नाती’ से लेखक का तात्पर्य है



(A). बहुत आषावादी होना



(B). बहुत निराषावादी होना



(C). बहुत धैर्यवान होना



(D). बहुत उत्साहित होना



Right Answer: A



9. निर्देष: अधोलिखित गद्यांश को पढ़कर दिये गये प्रश्न के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिये:

मन फिर घूम गया कौशल्या की ओर, लाखों-करोड़ों कौशल्याओं की ओर और लाखों-करोड़ों कौशल्याओं के द्वारा मुखरित एक अनाम अरूप कौशल्या की ओर, इन सबके राम वन में निर्वासित हैं, पर क्या बात है कि मुकुट अभी उनके माथे पर बंधा है और उसी के भीगने की इतनी चिंता है ? क्या बात है कि तुलसीदास ने ष्काननष् को सत अवध समाना कहा और चित्रकूट में ही पहुंचने पर उन्हें लि की कुटिल कुचाल; दीख पड़ी ?

इस देष की ही नहीं, पूरे विष्व की एक कौसल्या है, जो हर बारिष में बिसूर रही है- ष्मोरे राम के भीजै मुकुटवाष् (मेरे राम का मुकुट भीग रहा होगा)। मेरी संतान, ऐष्वर्य की अधिकारिणी संतान वन में घूम रही है, उसका मुकुट, उसका ऐष्वर्य भीग रहा है, मेरे राम कब घर लौटेंगे ? मनुष्य की इस सनातन नियति से एक दम आतंकित हो उठता हूं, ऐष्वर्य और निर्वासन दोनों साथ-साथ चलते हैं। जिसे ऐष्वर्य सौंपा जाने को है, उसको निर्वासन पहले से बदा है। जिन लोगों के बीच रहता हूं, वे सभी मंगल नाना के नाती हैं, वे मुद मंगल में ही रहना चाहते हैं, पर मैं अषेष मंगलाकांक्षाओं के पीछे से झांकती हुई दुर्निवार शंकाकुल आंखों में झांकता हूं तो मंगल का सारा उत्साह फीका पड़ जाता है और बंदनवार न दिखर बटोरी हुई रस्सी की शक्ल में कुंडली मारे नागिन दिखती है।

’सत अवध समाना’ का भाव है



(A). सौ युगों के समान



(B). सात युगों के समान



(C). अत्यन्त ऐष्वर्य युक्त



(D). उपर्युक्त में से कोई नहीं



Right Answer: C



10. निर्देष: अधोलिखित गद्यांष को पढ़कर प्रश्न के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिए:

शिरीष वसन्त के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक तो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गया तो भादो में भी निर्घात फूलता रहता है। इस प्रकार षिरीष कालजयी अवधूत की भांति जीवन की अजेयता का मन्त्रप्रचार करता रहता है। शिरीष का फूल संस्कृत साहित्य में बहुत कोमल माना गया है। शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत होते हैं कि नये फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नये फल पत्ते मिलकर ध्कियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसन्त के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्प-पत्र से मर्मरित होती रहती है, षिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रूख नहीं पहचानते और जब तक नयी पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।

मैं सोचता हूं कि पुराने की यह अधिकार लिप्सा क्यों नहीं समय रहते सावधान हो जाती ? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत् के अतिपरिचित और अति प्रामाणिक सत्य हैं। तुलसीदास ने अफसोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगायी थी - ‘‘ धरा को प्रमान यही तुलसी जी फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना।’’

‘जो फरा सो झरा’ में तुलसीदास ने किस ओर संकेत किया है?



(A). जीवन की शाश्वतता पर



(B). जीवन की निस्सारता पर



(C). जीवन की क्षणभंगुरता पर



(D). उपर्युक्त सभी पर



Right Answer: C



11. निर्देष: अधोलिखित गद्यांष को पढ़कर प्रश्न के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिए:

शिरीष वसन्त के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक तो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गया तो भादो में भी निर्घात फूलता रहता है। इस प्रकार षिरीष कालजयी अवधूत की भांति जीवन की अजेयता का मन्त्रप्रचार करता रहता है। शिरीष का फूल संस्कृत साहित्य में बहुत कोमल माना गया है। शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत होते हैं कि नये फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नये फल पत्ते मिलकर ध्कियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसन्त के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्प-पत्र से मर्मरित होती रहती है, षिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रूख नहीं पहचानते और जब तक नयी पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।

मैं सोचता हूं कि पुराने की यह अधिकार लिप्सा क्यों नहीं समय रहते सावधान हो जाती ? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत् के अतिपरिचित और अति प्रामाणिक सत्य हैं। तुलसीदास ने अफसोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगायी थी - ‘‘ धरा को प्रमान यही तुलसी जी फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना।’’



संस्कृत साहित्य में किसे कोमल माना गया है ?



(A). शिरीष के फलों को



(B). शिरीष के फूलों को



(C). शिरीष के पत्रों को



(D). शिरीष की शाखाओं को



Right Answer: B



12. निर्देष: अधोलिखित गद्यांष को पढ़कर प्रश्न के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिए:

शिरीष वसन्त के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक तो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गया तो भादो में भी निर्घात फूलता रहता है। इस प्रकार षिरीष कालजयी अवधूत की भांति जीवन की अजेयता का मन्त्रप्रचार करता रहता है। शिरीष का फूल संस्कृत साहित्य में बहुत कोमल माना गया है। शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत होते हैं कि नये फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नये फल पत्ते मिलकर ध्कियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसन्त के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्प-पत्र से मर्मरित होती रहती है, षिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रूख नहीं पहचानते और जब तक नयी पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।

मैं सोचता हूं कि पुराने की यह अधिकार लिप्सा क्यों नहीं समय रहते सावधान हो जाती ? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत् के अतिपरिचित और अति प्रामाणिक सत्य हैं। तुलसीदास ने अफसोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगायी थी - ‘‘ धरा को प्रमान यही तुलसी जी फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना।’’

‘निर्घात‘ का विलोम है



(A). अगाध

(B). आघात



(C). निगाध

(D). प्रगाढ़



Right Answer: B



13. निर्देष: अधोलिखित गद्यांष को पढ़कर प्रश्न के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिए:

शिरीष वसन्त के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक तो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गया तो भादो में भी निर्घात फूलता रहता है। इस प्रकार षिरीष कालजयी अवधूत की भांति जीवन की अजेयता का मन्त्रप्रचार करता रहता है। शिरीष का फूल संस्कृत साहित्य में बहुत कोमल माना गया है। शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत होते हैं कि नये फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नये फल पत्ते मिलकर ध्कियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसन्त के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्प-पत्र से मर्मरित होती रहती है, षिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रूख नहीं पहचानते और जब तक नयी पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।

मैं सोचता हूं कि पुराने की यह अधिकार लिप्सा क्यों नहीं समय रहते सावधान हो जाती ? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत् के अतिपरिचित और अति प्रामाणिक सत्य हैं। तुलसीदास ने अफसोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगायी थी - ‘‘ धरा को प्रमान यही तुलसी जी फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना।’’

लेखक के अनुसार नेताओं के साथ तुलनीय है



(A). शिरीष के फल



(B). शिरीष के फूल



(C). वसन्त की ऋतु



(D). पतझड़ की ऋतु



Right Answer: A



14. निर्देष: अधोलिखित गद्यांष को पढ़कर प्रश्न के उत्तर सबसे उचित विकल्प चुनकर दीजिए:

शिरीष वसन्त के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक तो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गया तो भादो में भी निर्घात फूलता रहता है। इस प्रकार षिरीष कालजयी अवधूत की भांति जीवन की अजेयता का मन्त्रप्रचार करता रहता है। शिरीष का फूल संस्कृत साहित्य में बहुत कोमल माना गया है। शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत होते हैं कि नये फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नये फल पत्ते मिलकर ध्कियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसन्त के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्प-पत्र से मर्मरित होती रहती है, षिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रूख नहीं पहचानते और जब तक नयी पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।

मैं सोचता हूं कि पुराने की यह अधिकार लिप्सा क्यों नहीं समय रहते सावधान हो जाती ? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत् के अतिपरिचित और अति प्रामाणिक सत्य हैं। तुलसीदास ने अफसोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगायी थी - ‘‘ धरा को प्रमान यही तुलसी जी फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना।’’

शिरीष पुष्प का पल्लवन होता है



(A). जेठ में

(B). आषाढ़ में



(C). भादो में

(D). वसन्त में



Right Answer: D



15. हिन्दी शब्दकोष के अनुसार निम्न शब्दों का सही क्रम है

‘ज्ञानार्जन, ज्वाला, ज्येष्ठ, जौहरी’



(A). ज्वाला, ज्ञानार्जन, ज्येष्ठ, जौहरी



(B). जौहरी, ज्ञानार्जन, ज्येष्ठ, ज्वाला



(C). ज्येष्ठ, ज्वाला, जौहरी, ज्ञानार्जन



(D). जौहरी, ज्येष्ठ, ज्वाला, ज्ञानार्जन



Right Answer: B



16. हमारे स्कूल में कई सचिन तेंदुलकर हैं: इसलिए क्रिकेट में

हम सदैव जीतते हैं। रेखांकित शब्द में संज्ञा है



(A). व्यक्तिवाचक

(B). भाववाचक



(C). जातिवाचक

(D). परिभाव वाचक



Right Answer: C



17. ‘अनु़ + इष्ट’ का संधि शब्द है



(A). अनिष्ट

(B). अन्विष्ट



(C). अनुष्ट

(D). अनीष्ट



Right Answer: B



18. संयुक्त व्यंजन ‘ज्ञ’ की ध्वनियां हैं



(A). ज् + अ्

(B). ज् + ञ् + अ



(C). ज + न

(D). ज् + न + अ



Right Answer: B



19. ‘प्रवचन’ में उपसर्ग है



(A). प

(B). पः



(C). प्र

(D). प्रव



Right Answer: C



20. निम्न में से वर्तनी की दृष्टि से शुद्ध शब्द चुनिए



(A). एक्य

(B). संग्रहीत



(C). कोमलांगिनी

(D). तदुपरान्त



Right Answer: D



21. ‘हरि’ शब्द के अर्थों का सही समूह है



(A). विष्णु, सिंह, गज



(B). विष्णु, सिंह, बंदर



(C). अष्व, बादल, विष्णु



(D). विष्णु, शिव, नारद



Right Answer: B



22. ‘गुरूद्वारा’ में समास है



(A). तत्पुरूष

(B). द्वन्द्व



(C). बहुब्रीहि

(D). अव्ययीभाव



Right Answer: C



23. दिये गये शब्द के लिए उचित पर्यायवाची चुनें

‘सरस्वती’



(A). शारदा

(B). वनिता



(C). नलिनी

(D). सुरसरि



Right Answer: A



24. ‘दाँत काटी रोटी’ मुहावरे का अर्थ है



(A). परस्पर घनिष्टता होना



(B). परस्पर प्रतिस्पर्धा होना



(C). परस्पर वैर होना



(D). परस्पर ईर्ष्या होना



Right Answer: A



25. कौन-सा वाक्य मिश्र वाक्य नहीं है ?



(A). शोभा मुझसे कहती है कि जाओ।



(B). एक जोकर देखा जो भारी भरकम था।



(C). तुम इसलिए अच्छे हो क्योंकि तुम मेहनती हो।



(D). दरवाजा खुलने के कारण चोरी हो गई।



Right Answer: D



26. ‘सावन हरे न भादो सूखे’ लोकोक्ति का अर्थ है



(A). परवाह ना करना



(B). बेशर्म होना



(C). हमेषा एक जैसा रहना



(D). निर्लिप्त रहना



Right Answer: C



27. निम्न में से मूर्धन्य वर्ण है



(A). अ

(B). इ



(C). ऋ

(D). ए



Right Answer: C



28. ‘प्रोत्साहन’ का संधि-विच्छेद है



(A). प्र + उत्साहन

(B). प्रः + उत्साहन



(C). प + उत्साहन

(D). प्रो + साहन



Right Answer: A



29. ‘बन्ध्या’ शब्द का विलोम चुनिए



(A). उर्वर

(B). उपजाऊ



(C). उर्वरा

(D). बंजर



Right Answer: C



30. निम्न शब्दों में से तद्भव शब्द है



(A). पाषाण

(B). परख



(C). प्रहरी

(D). पृष्ठ



Right Answer: B


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